दास्तान मेरे लाड प्यार की बस,एक हस्ती के इर्द-गिर्द घूमती है,प्यार जन्नत से इसलिए है मुझे,क्योंकि यह भी मेरी मां के कदम चूमती है।सब कुछ मिल जाता है दुनिया में मगर,याद रखना की बस माँ-बाप नहीं मिलते,मुरझा कर जो गिर जाये एक बार डाली से,ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते।माँ की एक दुआ ज़िन्दगी बना देगीखुद रोयेगी मगर तुझको हंसा देगीकभी भूल के भी माँ को ना रुलानातुम्हारी एक गलती पूरा अर्श हिला देगीउस इंसान से दोस्ती मत करो जो अपनी मां से ऊंची आवाज में बात करता है, क्योंकि जो अपनी माँ की इज्जत नहीं कर सकता वह आपकी इज्जत कभी नहीं करेगाप्यार करना कोई तुम से सीखे,दुलार करना कोई तुम से सीखे,तुम हो ममता की मूरत,दिल में बिठाई है हमने यही सूरत,मेरे दिल का बस यही है कहना,ओ माँ तुम बस ऐसी ही रहना।ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं,तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं,मगर मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं।रब ने माँ को ये अज़मत-ए-कमाल दीउसकी दुआओं पर, आयी हर बला ताल दीक़ुरान ने माँ के प्यार की कुछ यूँ मिसाल दीके जन्नत उठा कर माँ के क़दमों में डाल दीगिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने,भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।है एक कर्ज जो हरदम सवार रहता है,वो मां का प्यार है जो सब पर उधार रहता है।काला टीका दूध मलाई आज भी सब कुछ वैसा है,मैं ही मैं हूँ हर जगह प्यार ये तेरा कैसा है?